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आज के इस भागदौड़ भरी जिन्दगी और अस्तव्यस्त जीवनशैली के चलते अब ना तो पानी साफ है, ना ही हवा शुद्ध है, और ना ही ये धरती स्वच्छ बची है। हर तरफ धूल के कणों ने अपना कहर बरसा रखा है। ऐसे में आए दिन वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है।

हवा में ’जहर’ घुलना आपके शरीर के लिए है खतरनाक। ताजा सर्वे यह बताते हैं कि हवा में सम्मिलित कण आपके शरीर के लिए बीमारियों का घर है। इससे आपके शरीर में कैंसर व फेफड़ों जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। शोध के मुताबिक यह बात यह सामने आई है कि हवा में मौजूद धूल के महीन कण जिन्हें ’पार्टिकुलेट मैटर’ या पीएम कहा जाता है, वायु प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा बनते हैं। सबसे महीन आकार का कण, जो कि एक मीटर के 25 लाखवें हिस्से से भी छोटा होता है प्रदूषण की वजह से होने वाले फेफड़ों के कैंसर की प्रमुख वजह है। यहां तक कि जब यह धूल के कण किसी तरह से हमारे शरीर के अंदर प्रवेश करने में सफल होते हैं, तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इनके प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, जो एलर्जी के रूप में सामने आता है। नाक में होने वाली एलर्जी को एलर्जिक राइनाइटिस कहते हैं।

हालांकि आज भी पक्की चौड़ी सड़कों पर थोड़ी सी हवा चलने व कोई भी वाहन निकलते ही पूरे मार्ग की आवोहवा बदलने में देर नहीं लगती है और चारो तरफ धूल ही धूल नजर आने लगती है, जो लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर करती है। शहर की प्रमुख सड़कों पर धूल के गुब्बार उठना बहुत आम बात है, यदि कोई दोपहिया वाहन चालक बस, ट्रक या कार के पीछे चल रहा है तो वाहन के धुएं के साथ धूल भी उसके फैफडों में समा रही होती है। इस उड़ती धूल के कारण राहगीरों को आने जाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं सड़क किनारे सब्जी, फल, दुकान लगाने वाले दुकानदार भी उड़ती धूल से खासे परेशान है। यह डस्ट हवा में घुसकर शहर के लोगों का स्वास्थ्य बिगाडऩे का काम भी बखूबी कर रही है।

कुछ आंकड़े यह बताते हैं कि आम तौर पर घर से बाहर जाने पर या घर में कोई ना रहने पर वहां हर जगह धूल ही धूल जमी रहती है। ऐसे में जब आप लौटकर सफाई का कार्यक्रम शुरू करते हैं तो पूरे घर में धूल ही धूल के कण तैरते हुए नज़र आते है। धूल में सम्मिलित कण इतने महीन होते हैं कि हम उन्हें देख नहीं पाते हैं। यही कण आपकी सांस के द्वारा शरीर में जाकर आपको कई रोगों का शिकार बना देते है। शोधों के अनुसार हर वर्ष लगभग 43 लाख लोग घर के अंदर की धूल से ही बीमार हो रहे हैं।

हम लोगों में ज्यादातर सांस की बीमारियां धूल के कण के कारण ही होती है। जब हम मिट्टी और कूड़ा जलाते हैं तो इन कणों की मात्रा में इजाफा होने लगता है। उसी दौरान जब हम सांस लेते हैं तो ये कण सीधे आपके फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। इन्हीं की वजह से आपको पहले खांसी होने लगती है और बाद में यह अस्थमा का रूप ले लेती है। तो अगर इन कणों से बचना चाहते हैं तो आज से ही अपने आसपास की धूल से बचें और स्वस्थ रहें। वैसे तो यह बीमारी जानलेवा नहीं होती, लेकिन आपकी सामान्य दिनचर्या को अत्यधिक प्रभावित करने में सक्षम होती है। इसका सही वक्त पर ठीक और सफल उपचार नहीं होने पर, अन्य बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है।

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