कई दिन पहले मैं अपने दवाखाने में हमेशा की तरह अपने रोगी भाइयों को देख रहा था तो उनमें एक रोगी काफी निराश उदास व सहमा हुआ सा बैठा था। जब उसकी बारी आई तो मैंने उससे सबसे पहले यही पूछा कि तुम इतने घबराये हुए क्यों हो तो उस युवक रोगी का सब्र बांध टूट गया तथा उसकी आंखें में आंसू छलछला आए। मैंने उसे पूरी तसल्ली दी तथा मैंने कहा कि अपनी परेशानी बताओ तथा चिन्ता की कोई
सफल जीवन का रहस्य
सुबह सवेरे उठकर प्रतिदिन सैर करें यदि हो सके तो कुछ व्यायाम करें। भोजन हल्का, सन्तुलित व जल्दी ही हज़्ाम होने वाला करें। रात्रि को भोजन सोने से 2-3 घंटें पहले ही कर लें। कब्ज़ न रहने दे। हस्तमैथुन न करे, गन्दे उपन्यास तथा अश्लील साहित्य न पढ़े मन के विचार शुु(अच्छा साहित्य पढ़े जब भी मन में बुरे विचार आयें तो अपने प्रभु को याद करें। सोने से पहले मूत्र त्याग अवश्य कर लें तथा रात में जब भी
सम्भोग का समय कितना होना चाहिए
यह एक ऐसा प्रश्न है है जो प्रायः रोगी भाई हमसे पूछते रहते हैं कि सम्भोग का समय कितना होना चाहिए? इस सम्बन्ध में अलग अलग चिकित्सकों की अलग अलग राय है, कुछ चिकित्सक यह मानते हैं कि सम्भोग की अवधि 3-4 मिनट होनी चाहिए, जबकि कुछ यह मानते हैं कि योनि में लिंग प्रवेश के बाद 15 मिनट तक सम्भोग किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में हमारी राय यही है कि सम्भोग की आदर्श अवधि वह होनी चाहिए जिसमें
अनेक रोगों की दवा-सेक्स
सेक्स अनेक रोगों की दवा भी है। जहां पर विवाहित जीवन में सेक्स एक दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक दूजे के स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य को भी बनाए रखता है। सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन्स उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। सेक्स में एंडार्फिन हार्मोन की मात्रा बढ जाती है, जिससे त्वचा सुंदर, चिकनी, व चमकदार बनती है। एस्टोजन हार्मोन शरीर के लिए
कामयाबी का राज
हाशमी दवाखाना विश्व में अपनी तरह का एक मात्र अत्याधुनिक दवाखाना है जिसमें स्त्री पुरुषो की शारीरिक व मर्दाना कमजोरियों का अपने तजुर्बे के आधार पर हर्बल इलाज किया जाता है। रोगी की स्थिति, प्रकृति, उम्र और मौसम को ध्यान में रखकर पूरी हमदर्दी व गंभीरता के साथ रोगी के लिए जड़ी-बूटियों, रस, द्रव्य एवं भस्मों से युक्त नुस्खों से तैयार इलाज चुना जाता है ताकि रोगी को अपनी समस्याओं व कमजोरियों से हमेशा के लिए जल्दी ही छुटकारा मिल
शुक्रहीनता
कई पुरुषों को यौन सम्बन्धी कोई रोग नहीं होता तथा सहवास के समय उनके शिशन में उत्तेजना व तनाव भी सामान्य व्यक्ति जैसा ही होता है। सम्भोग शक्ति भी पूर्ण होती है किन्तु उनके वीर्य में संतान उत्पन्न करने वाले शुक्राणु या तो बिल्कुल ही नहीं होते या बहुत कमजोर एवं मंदगति से चलने वाले होते हैं जिससे पुरुष संतान उत्पन्न करने योग्य नहीं माना जाता सकता। कई बार इस रोग के साथ व्यक्ति की पिछली गलतियों के कारण या
लिंग में वृद्धि कैसे सम्भव है?
जब कोई व्यक्ति सैक्स से सम्बन्धित कामुक चिन्तन करता है या कोई अश्लील किताब, या उसके बारे में सोचता है, या स्त्री से सम्भोग की इच्छा रखता है तो उसके मस्तिष्क कुछ विशेष हार्मोन का स्रवण करते हैं जो लिंग में रक्त के प्रवाह को तीव्र कर देता है और काॅर्पस केवेरनोसम (Corpus Cavernosum) नामक ऊतक में रक्त इकट्ठा होकर लिंग का आकार बढ़ा देता है। पूर्ण उत्तेजित अवस्था में लिंग के इन उतकों में रक्त अपनी अधिकतम मात्रा में
लिंग की मोटाई और लम्बाई में कमी आते जाना
उत्तेजित अवस्था में शिश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उत्थान केन्द्र कितना सशक्त है। जैसे ही मस्तिष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उत्थान केन्द्र को लिंग के स्पंजी टिशू में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदि उत्थान केन्द्र सशक्त है तो वह उसी अनुपात में उतना ही अधिक रक्त लिंग में एकत्रित करने में समर्थ होता है जिसके फलस्वरूप लिंग का आकार उसी अनुपात में बड़ा
नपुंसकता
युवा अवस्था में स्त्री सम्भोग या संतान पैदा करने की अयोग्यता को नपुंसकता कहते हैं। इस दशा में संभोग की कामना होते हुए भी पुरूष की इन्द्री में उत्तेजना नहीं होती इन्द्री बेजान मांग के लोथड़े की तरह गिरी रहती है। उसका आकार भी कम ज्यादा, पतला या टेढ़ा हो सकता है। नसें उभरी प्रतीत होती हैं। कामेच्छा होते हुए भी इन्द्री में तनाव नहीं आता यदि पुरूष के अपने भरसक प्रयत्न से थोड़ी बहुत उत्तेजना इन्द्री में आती भी
शीघ्रपतन
सम्भोग के समय तुरंत वीर्य का निकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है। अत्यधिक स्त्री-प्रसंग, हस्तमैथुन, स्वप्नदोष, प्रमेह इत्यादि कारणों से ही यह रोग होता है। सहवास में लगभग 10-20 मिनट का समय लगता है लेकिन 3-4 मिनट से पहले ही बिना स्त्री को सन्तुष्ट किए अगर स्खलन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग समझना चाहिए। जब यह रोग अधिकता पर होता है तो स्त्री से संभोग करने से पहले ही सम्भोग का ख्याल करने पर या कपड़े की रगड़ से