post-thumb

उत्तेजित अवस्था में शिश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उत्थान केन्द्र कितना सशक्त है। जैसे ही मस्तिष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही सेरीब्रम (cerebrum) उत्थान केन्द्र को लिंग के स्पंजी टिशू में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदि उत्थान केन्द्र सशक्त है तो वह उसी अनुपात में उतना ही अधिक रक्त लिंग में एकत्रित करने में समर्थ होता है जिसके फलस्वरूप लिंग का आकार उसी अनुपात में बड़ा हो जाता है। अगर उत्थान केन्द्र दुर्बल हो चुका हैे तो लिंग की लम्बाई, चैड़ाई अपेक्षाकृत कम होती है। नपुंसकता की ओर बढ़ रहे युवकों में जहां काम केन्द्र दुर्बल पड़ जाते हैं वहां उत्थान केन्द्र विशेष रूप से प्रभावित होता है और दुर्बल उत्थान केन्द्र पर्याप्त मात्रा में लिंग में रक्त एकत्रित करने में असमर्थ होने के कारण लिंग का आकर प्राकृत रूप में नहीं आ पाता है। जैसे-जैसे उत्थान केन्द्र की दुर्बलता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे लिंग की लम्बाई्र और चैड़़ाई कम होती जाती है। उत्तेजित लिंग के सामान्य से कम आकार को देखकर निष्कर्ष निकालना चाहिए कि उत्थान केन्द्र निर्बल हो चुका है। यदि यह दुर्बलता बढ़ती रहती है तो एक अवस्था ऐसी आती है जब उत्थान केन्द्र में बिल्कुल रक्त नहीं भर पाता और परिणामस्वरूप लिंग में उत्थान नहीं होता। इसको ही पूर्ण नपुंसकता कहते हैं। ऐसी अवस्था उत्पन्न हो इसलिए उत्तेजित लिंग के आकार में कमी देखते ही उचित चिकित्सा समय रहते ही करा लेनी चाहिए।

Share your thoughts Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Comment