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शोध के अनुसार आज भारवर्ष में मधुमेह, हृदयरोग और कैंसर से ज्यादा व्यक्ति क्रॉनिक दर्द यानि (लंबे समय तक रहने वाला दर्द) से पीड़ित हैं और इसकी संख्या में बढ़ोत्तरी होना एक आम बात हो गई है। जो व्यक्ति के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है। दिक्कत यह है कि आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में व्यक्ति अपनी गलत जीवनशैली के चलते इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं और जल्दी राहत पाने के लिए दर्द निवारक दवाओं व बाम लगाकर निश्चित हो जाते हैं। लेकिन वह यह नहीं जानते हैं कि इन उपचारों से कुछ हद तक राहत तो मिल जाती है लेकिन यदि दर्द उम्र बढ़नें के साथ असाध्य हो जाए तो नतीजे कष्टदायक हो सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के साथ अपने पुराने दर्द को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। हर कोई कभी न कभी दर्द का अनुभव करता है, अचानक उठा दर्द तंत्रिका तंत्र की एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है जो आपको संभावित चोट के बारे में चेतावनी देने में मदद करता है।

क्या है क्रॉनिक पेन :

कई महीनों तक दर्द का रहना क्रॉनिक पेन कहलाता है। क्रॉनिक पेन लगातार भी रह सकता है या बार-बार हो सकता है। संक्षेप में कहा जाये तो महीनों या सालों तक भी रह सकता है। यह प्रायः किसी दीर्घकालिक बीमारी की वजह से भी होता है और उस रोग के लक्षणों में एक हो सकता है। इसका पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल होता है। इसका दर्द आपकी गतिशीलता, लचीलेपन, शक्ति और धैर्य को प्रभावित कर सकता है। जिस कारण आपके दैनिक कार्यों और गतिविधियों को पूरा करने में कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती हैं। क्रॉनिक पेन प्रभावित क्षेत्रों में दर्द तेज़ या कम हो सकता है। यह स्थिर या अस्थायी हो सकता है। बिना किसी कारण के यह आता जाता रहता है। आपके शरीर के लगभग किसी भी हिस्से में गंभीर दर्द हो सकता है। जिसमें सिरदर्द, (माइग्रेन) पीठदर्द, जॉइंट के पास मांसपेशियों व ऊत्तकों में दर्द (फाइब्रो-मयाल्जिया) और वेरीकोज वेंस जैसे कारपल टन्नल सिंड्रोम शामिल हैं।

कारण :

क्रोनिक पेन के मुख्य कारणों में कई सालों तक गलत मुद्रा में उठना-बैठना व सोना है। इसके अतिरिक्त लंबे समय तक उदासी या सदमें के कारण इंजरी भी इसकी मुख्य वजह है। गलत खानपान व खाना पचने में दिक्कत होना भोजन के प्रति अरूचि होना, हड्डियों व मांसपेशियों में लगागार दर्द का रहना, आर्थराइटिस, संक्रमण, कैंसर की वजहे भी क्रोनिक पेन की जटिलताओं की समस्याओं को बढ़ा देती है। कुछ लोगों में क्रोनिक पेन होने के चांस इसीलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि वह लगातार अधिक वज़न उठाते हैं इससे उनके घुटनों और पीठ पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगता है। इसके अतिरिक्त किसी चोट या दुर्घटना, इंफेक्शन भी काफी हद तक क्रॉनिक पेन होने के जिम्ममेदार होते हैं। क्रॉनिक पेन से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे कैंसर तक हो सकता है। इसलिए एक माह से अधिक समय से हो रहे दर्द को किसी भी स्थिति में टाले नहीं और फौरन विशेषज्ञ की सलाह से उचित इलाज शुरू करें।

बचाव व उपाय :

यदि क्रोनिक पेन से बचना चाहते हैं तो दर्द से पीड़ित मरीज के लिए सबसे अच्छा तरीका अपने आहार से चीनी और आटा-आधारित उत्पादों के सेवन को बहुत कम कर देना चाहिए और बेरीज् और नॉन-स्टार्च सब्जियों के सेवन को बढ़ावा देना चाहिए। अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। अपरिचित ग्लूटेन संवेदनशीलता के इलाज के लिए अपने आहार से ग्लूटेन को हटा दें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन ही करें, खासकर ऐसा भोजन जिसमें कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा भरपूर हो। शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें। शरीर की दशा ठीक-ठाक रखें। इस तरह से तेज दर्द के इलाज के लिए संतुलित आहार और बेहतर जीवन शैली में परिवर्तन बहुत ही आवश्यक है।

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