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मालिक ने स्त्री और पुरुष को एक दूसरे के लिए बनाया है लेकिन दोनों की शरीर संरचना अलग अलग होती है। जो लोग केवल स्त्री संरचना में केवल स्त्री को ही होते हैं उन्हें स्त्री रोग कहते हैं। ये रोग भी काफी कष्टकारी होते हैं। कमर, शरीर में दर्द होता है, शरीर थका थका सा रहता है, कामकाज में मन नहीं लगता तथा स्त्री अपनी आयु से पहले ही स्वास्थ्य व सौन्दर्य खो बैठती है। अपनी उम्र से बड़ी दिखाई देने लगती है मैथुन शक्ति भी कम हो जाती है तथाा अपने पति को पूरी तरह से सहयोग नहीं दे पाती, जिस कारण पति पत्नी दोनों का विवाहित जीवन दुखमय हो जाता है। इसका असर आने वाली सन्तान या बच्चों पर भी पड़ता है। पारिवारिक ढांचा चरमरा जाता है। स्त्री रोग कई प्रकार के होते हैं। लेकिन कुछ रोग स्त्रियों में अधिकतर खानपान, रहन, सहन, जलवायु या वातावरण के कारण होते हैं।

जो भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं :-

मासिक-धर्म सम्बन्धी दोष :-

स्त्री योनि के प्रत्येक मास जो रक्त आता है उसे मासिक धर्म कहते हैं। स्त्री की सेहत व सन्तान उत्पत्ति इसी मासिक धर्म के चक्र पर आधारित है। मासिक धर्म ठीक समय पर बिना कष्ट व उचित मात्रा में आने से गर्भाधारण की क्षमता रहती है और सम्भोग भी आनन्दपूर्ण होता है लेकिन यदि मासिक धर्म नियमित मात्रा या अवधि से कम ज्यादा हो तथा अधिक कष्टपूर्ण हो तो इससे स्त्री के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है तथा तरह तरह के रोग लग जाते हैं। स्त्री निर्बल और कमजोर हो जाती है। यौवन समाप्त हो जाता है। हमारे सफल इलाज से अनियमित मासिक धर्म नियमित होकर बिना कष्ट के खुलकर आने लगता है। बन्द मासिक धर्म चालू हो जाता है तथा मासिक का अधिक आना ठीक होकर स्त्री का चेहरा निखरकर खोया सौन्दर्य पुनः लौटने लगता है।

कष्टपूर्ण मासिक धर्म :-

यूं तो यह शिकायत किसी भी स्त्री को हो सकती है लेकिन विशेषकर कम उम्र की युवतियों में अक्सर पाई जाती है उन्हें मासिक धर्म आने पर इतना कष्ट व दर्द होता है जो कहा नहीं जा सकता। एक दो दिन पहले से ही बैचेनी होने लगती है तथा मसकि के दिन पेट व टांगों में दर्द के कारण शरीर बेजान हो जाता है। तथा मासिक अनियमित हो जाता है।

अधिक स्त्राव :-

इस दशा में मासिक धर्म नियमित होता है लेकिन रक्त स्त्राव मात्रा से काफी अधिक होता है। साधारणतः मासिक स्त्राव 4-5 दिन में ही बन्द हो जाना चाहिए किन्तु इस विकार में 6 से 8 दिन तक या कभी कभी इससे भी अधिक होता है। ऐसी हालत में स्त्री के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। कमजोरी, चक्कर, अंधेरा, हाथ, पैर, शरीर में दर्द आदि की शिकायत हो जाती है। उचित इलाज द्वारा ऐसी हालत ठीक हो जाती है।

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